पिता हैं मामूली से गार्ड पर बेटे ने किया कमाल, सरकारी अफ़सर बन बढ़ाया घर वालों का मान

आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने कुलदीप द्विवेदी की सफलता की कहानी के बारे में। आज हम जानेंगे कि कैसे एक ऐसा लड़का, जिसके पिता एक साधारण गार्ड की नौकरी करते थे। और उसके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे की वो खुद की एक किताब खरीद सके। और इसलिए वो दूसरों से किताबें उधार ले के पढ़ा करता था। वो आज के समय में एक बड़ा सरकारी अफसर बन चुका है।
तो चलिए आज जानते हैं क्या है इनकी सफलता की कहानी। इनकी कहनी शुरू होती है उत्तर प्रदेश के रायबरेली से। यहां से इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा की और दसवीं और बारहवीं से की। इनके पिता एक गार्ड थे तो उनकी आमदनी कुछ खास नहीं थी। उनकी आमदनी बस इतनी थी कि किसी तरह घर का खर्च हो पाता था। किसी तरह कुलदीप ने अपनी दसवीं पूरी की।
दसवी के बाद उनकी पढ़ाई का खर्च उनके पिता पर भारी पड़ने लगा। उनके पिता के लिए घर का खर्चा चलाना और कुलदीप की पढ़ाई देख पाना संभव नहीं था। और कुलदीप को भी अपने घर की हालत अच्छी तरह से पता था। पर उनके दिल में पढ़ने और कुछ बड़ा करने की इच्छा भी बड़ी तीव्र थी। तो उन्होंने इसके लिए एक बड़ा अच्छा उपाय निकाला। और वो दोस्तों से किताबें उधार पर ले कर के लाने लगे।
और किसी तरह उनके पिता जी उनकी फीस का इंतजाम करते। धीरे धीरे ऐसे ही उनकी बारहवीं भी हो गई। और इसके बाद उन्होंने कुछ इसी तरीके से अपनी ग्रेजुएशन भी कर ली। उनको पता था कि जिंदगी मे कुछ बड़ा करना होगा तभी उनकी मुश्किल हल होगी। और वो नौकरी की तैयारी में जुट गए। कई सालों की मेहनत के बाद आखिर उनको सफलता मिल ही गई, और वो एक सरकारी ऑफिसर बनने में कामयाब हुए।